इंटरमिटेंट फास्टिंग: विज्ञान, व्रत और आत्मबल की एक अनोखी यात्रा
- Deepa Agnihotri
- Jun 30
- 3 min read
Dr Deepa Agnihotri
30 jun 2025
आजकल ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ एक ट्रेंड बन चुका है, लेकिन असल में यह हमारे भारतीय व्रत-परंपरा का ही आधुनिक रूप है। जहाँ एक ओर विज्ञान इसके फ़ायदे गिनाता है, वहीं हमारी संस्कृति इसे आत्मशुद्धि और आस्था से जोड़ती है।चलिए, जानते हैं कैसे यह एक साधारण-सा व्रत, आपके शरीर और मन दोनों को नई ऊर्जा दे सकता है।

🕰️ इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार (Intermittent Fasting Types)
16:8 विधि – 16 घंटे उपवास, 8 घंटे भोजन (सबसे प्रचलित)
5:2 विधि – हफ्ते में 5 दिन सामान्य खाना, 2 दिन सीमित कैलोरी (~500-600)
OMAD (One Meal A Day) – दिन में सिर्फ एक बार भोजन
24 घंटे उपवास – सप्ताह में 1 बार
एकादशी उपवास – धार्मिक और डिटॉक्स दोनों लाभ
🌟 उपवास के 10 कमाल के फ़ायदे (Scientifically Proven + Spiritual)
✅ वज़न घटाने में सहायक - जब आप उपवास करते हैं, तो शरीर पहले ग्लूकोज और फिर फैट को एनर्जी में बदलता है। यह नेचुरल फैट बर्निंग मोड है जो बिना एक्स्ट्रा मेहनत के वजन घटाने में मदद करता है।
🧠 ब्रेन हेल्थ में सुधार - उपवास के दौरान मस्तिष्क में BDNF (Brain-Derived Neurotrophic Factor) हॉर्मोन बढ़ता है जो नई ब्रेन कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है। इससे याददाश्त, ध्यान और मानसिक स्पष्टता में सुधार आता है।
🧬 सेल रिपेयर व ऑटोफेजी - उपवास शरीर में ऑटोफेजी नाम की प्रक्रिया को सक्रिय करता है, जिसमें पुराने, डैमेज्ड सेल्स को हटाकर नए हेल्दी सेल्स बनते हैं। यह anti-aging का सबसे नेचुरल तरीका है।
💉 इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाना - उपवास के कारण शरीर में इंसुलिन की ज़रूरत कम हो जाती है और उसकी संवेदनशीलता बढ़ती है। इससे टाइप-2 डायबिटीज़ की रोकथाम और नियंत्रण संभव होता है।
💪 इंफ्लेमेशन कम करना - लगातार खाने से शरीर में सूजन (inflammation) बनी रहती है, जो कई बीमारियों की जड़ है। उपवास उस सूजन को कम करके शरीर को रिस्टार्ट करता है।
🦠 इम्यूनिटी को बूस्ट करना - उपवास शरीर के डिटॉक्स सिस्टम को सक्रिय करता है। इससे विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं और इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है।
💓 दिल की सेहत में सुधार - फास्टिंग से कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और ब्लड प्रेशर में सुधार होता है। यह हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों के खतरे को कम करता है।
🧘♀️ मानसिक शांति और फोकस - उपवास के समय मन शांत होता है, और ध्यान लगाने की शक्ति बढ़ती है। यह एक ऐसा समय होता है जब आप खुद से जुड़ पाते हैं — भीतर की आवाज़ सुन पाते हैं।
🧿 आध्यात्मिक लाभ और आत्मसंयम - व्रत न केवल शरीर को बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करता है। यह इच्छाओं पर नियंत्रण, सहनशक्ति और आस्था का अभ्यास कराता है — जो आत्मिक विकास की दिशा है।
🌈 जीवनशैली में सरलता - हर वक़्त खाना सोचने की ज़रूरत नहीं होती। उपवास जीवन को डिसिप्लिन में लाता है, आपकी प्राथमिकताओं को साफ़ करता है और एक संतुलित दिनचर्या देता है।!
🔬 वैज्ञानिक आधार (Scientific Proofs)
2016 में जापान के वैज्ञानिक Yoshinori Ohsumi को ऑटोफेजी पर शोध के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
New England Journal of Medicine की रिसर्च बताती है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से मेटाबोलिक डिजीज, उम्र संबंधी समस्याएं और मोटापा नियंत्रित होता है।
भारतीय वैज्ञानिक भी अब इसे आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के संगम के रूप में देख रहे हैं।
❤️ मेरे विचार और सलाह
हम वर्षों से एकादशी, सोमवार, गुरुवार जैसे उपवास करते आ रहे हैं — अब विज्ञान भी यही कह रहा है कि थोड़ा 'ना खाना' भी बहुत फ़ायदे का सौदा है।लेकिन ध्यान रहे – यह हर किसी के लिए नहीं होता। डायबिटीज़, लो बीपी या विशेष परिस्थिति वाले मरीज़ डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।मेरे कई मरीज़ों ने जब इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाया, तो उनके ब्लड रिपोर्ट्स, वजन और जीवनशैली में आश्चर्यजनक सुधार आया।
✨ अंत में एक संदेश
उपवास कोई सज़ा नहीं, यह आत्मानुशासन है।यह व्रत हमें याद दिलाता है – “हम खाने के गुलाम नहीं हैं, बल्कि अपनी आदतों के मालिक बन सकते हैं।”
चलो, इस बार उपवास को नई सोच से देखें – विज्ञान और अध्यात्म के संगम से।स्वस्थ रहें, जागरूक रहें, और धीरे-धीरे, अपनी सबसे अच्छी “सेल्फ” बनते रहें।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो इसे अपने परिवार, दोस्तों और मरीज़ों के साथ ज़रूर शेयर करें – क्योंकि स्वास्थ्य का संदेश फैलाना भी एक सेवा है।



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