क्या आप अपनी डायबिटीज (मधुमेह) की गोली बंद करना चाहते हैं ? आइए जाने कैसे
- Deepa Agnihotri
- Oct 17, 2022
- 6 min read
Updated: Jun 28
Dr Deepa Agnihotri
17 October 22

वर्तमान समय में प्रगतिशीलता और आधुनिकता के चलते हमारे खानपान, रहन-सहन, आचार-विचार और जीवनशैली में अप्राकृतिक और रासायनिक युक्त (प्रिज़र्वेटिव्स और केमिकल्स से भरपूर) भोजन तथा बढ़ते तनाव के कारण डायबिटीज़ की समस्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है।
डायबिटीज़ एक मेटाबॉलिक बीमारी है। जब हम भोजन करते हैं, तो उससे ग्लूकोज बनता है, जो हमारे शरीर की हर गतिविधि के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। शरीर के अंग अपनी आवश्यकता के अनुसार रक्त से शुगर को इंसुलिन हार्मोन की मदद से कोशिकाओं में अवशोषित कर लेते हैं। लेकिन जब शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है, तो शुगर का स्तर रक्त में बढ़ जाता है और लंबे समय तक ऊँचा बना रहता है। यही स्थिति डायबिटीज़ को जन्म देती है, जिससे शरीर के लगभग हर अंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
दिलचस्प बात यह है कि हमारे शरीर में शुगर का स्तर सामान्य रेंज के भीतर लगातार बदलता रहता है, जो सभी अंगों के सही ढंग से काम करने के लिए आवश्यक है। डायबिटीज़ में यही स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
डायबिटीज़ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:
टाइप 1 डायबिटीज़: यह आनुवांशिक कारणों से होती है।
टाइप 2 डायबिटीज़: अधिकांश मामलों में यह देखने को मिलती है। यह लंबे समय तक निष्क्रियता, अधिक मीठा और उच्च कैलोरी युक्त भोजन, कम नींद, अधिक तनाव और अनियमित जीवनशैली का परिणाम है। इसी कारण डायबिटीज़ को "साइलेंट किलर" भी कहा जाता है।
मुझे अपने रक्त शर्करा के स्तर का परीक्षण क्यों करना चाहिए?
यह रोग (डायबिटीज़) एक दिन में विकसित नहीं होता, बल्कि यह वर्षों तक अधिक कैलोरी, प्रिज़र्वेटिव और केमिकल युक्त भोजन, अत्यधिक मीठा, मैदा, अनुचित खानपान और लगातार तनाव के कारण धीरे-धीरे विकसित होता है। शुरुआत में, शुगर का स्तर केवल हल्का बढ़ता है, जिसे हाइपरग्लाइसेमिक (hyperglycemic) रेंज या प्री-डायबिटिक अवस्था कहा जाता है। इस अवस्था में यदि हम अपने आहार और व्यायाम में बदलाव करें तो इस प्रक्रिया को आसानी से पलटा जा सकता है और बीमारी से बचा जा सकता है। दुर्भाग्यवश, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमने अनुशासित जीवनशैली पर नियंत्रण खो दिया है।
वे लक्षण जो संकेत देते हैं कि आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ है:
अत्यधिक प्यास लगना
बार-बार पेशाब आना, विशेषकर रात में
बिना कारण वजन कम होना
भूख ज्यादा लगना
धुंधली दृष्टि (ब्लर्ड विज़न)
हाथों और पैरों में सुन्नता या झुनझुनी
लगातार थकान महसूस होना
त्वचा में बहुत खुजली या रूखापन
घाव या संक्रमण का जल्दी न भरना
यदि आप इन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो समय रहते ब्लड शुगर की जांच करवाएँ और जीवनशैली में जरूरी बदलाव करें।
मुझे अपना ब्लड शुगर टेस्ट(Blood Sugar test) कब करवाना चाहिए?
डायबिटीज के लक्षण दिखाई देते ही सबसे पहले ब्लड और यूरिन में शुगर की जांच करवाएं। डायबिटीज की पुष्टि और निगरानी के लिए निम्नलिखित प्रमुख टेस्ट किए जाते हैं:
HbA1c टेस्ट: यह टेस्ट पिछले 2-3 महीनों (लगभग 120 दिनों) में आपके रक्त में औसत शुगर स्तर को दर्शाता है। यह डायबिटीज की पुष्टि के लिए सबसे विश्वसनीय टेस्ट माना जाता है और इसके लिए फास्टिंग की आवश्यकता नहीं होती।
फास्टिंग ब्लड शुगर (Fasting Blood Sugar): इस टेस्ट के लिए कम से कम 8 घंटे का उपवास जरूरी है। उपवास के दौरान आप केवल पानी ले सकते हैं। सुबह खाली पेट यह टेस्ट किया जाता है।
पोस्ट प्रांडियल (PP) ब्लड शुगर टेस्ट: यह टेस्ट भोजन के 1.5 से 2 घंटे बाद किया जाता है, जिससे यह पता चलता है कि शरीर भोजन के बाद शुगर को कैसे नियंत्रित करता है।
ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट (GCT): इसमें मरीज को 75 ग्राम ग्लूकोज दिया जाता है और 1 घंटे बाद ब्लड शुगर की जांच की जाती है।
ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (GTT/OGTT): यह डायबिटीज की पुष्टि के लिए आदर्श टेस्ट है। इसमें कई अंतरालों पर ब्लड सैंपल लेकर शरीर की ग्लूकोज प्रोसेसिंग क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है
ब्लड शुगर की जांच पैथोलॉजी लैब में मानक विधियों से करवाई जा सकती है या घर पर ग्लूकोमीटर की मदद से भी की जा सकती है। इसके अलावा, सतत ग्लूकोज मॉनिटर (CGM) भी उपलब्ध है, जिसे त्वचा पर लगाया जाता है और यह लगातार तीन महीने तक ब्लड शुगर की रीडिंग देता है, जिससे गंभीर परिस्थितियों में डायबिटीज का प्रबंधन और भी आसान हो जाता है।
शुगर लेवल और इसकी व्याख्या-
शरीर में सामान्य ब्लड शुगर स्तर खाली पेट (फास्टिंग) 70 से 100 mg/dL और भोजन के बाद 100 से 140 mg/dL होना चाहिए। यदि आपका फास्टिंग शुगर 126 mg/dL से ऊपर है और भोजन के बाद 199 mg/dL से अधिक है, तो यह डायबिटीज़ का संकेत है।
अगर आपका शुगर लेवल डायबिटीज़ की स्टेज में नहीं है, बल्कि प्री-डायबिटीज़ की अवस्था में है, तो इसे संतुलित आहार, नियमित शारीरिक व्यायाम, ध्यान और योगासनों के माध्यम से पूरी तरह नियंत्रित और ठीक किया जा सकता है।
SN | Fasting Sugar mg/dl | Blood Sugar PP mg/dl | HBA1c % | Interpretation | Action Needed |
1 | 70-100 | 100-140 | 4.1-5.6 | Normal Range | Nil |
2 | <70 | <100 | <4.0 | Hypoglycaemia | Observation_Energy Food needed |
3 | <54 | <69 | <3.5 | Critical Hypoglycaemia | Urgent Physician Consultation तत्काल चिकित्सक परामर्श |
4 | 100-126 | 140-199 | Low risk 5.6-6.4 High Risk 6.4-7.7 | Hyperglycaemia-प्रीडायबिटीज स्टेज-मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग का खतरा | शारीरिक रोग या मानसिक तनाव का इलाज करें, आहार बदलें, जीवनशैली बदलें |
5 | >126 | >200 | >7.8 | Diabetes | Physician Consultation चिकित्सक परामर्श |
डायबिटीज़ को नियंत्रित या खत्म करने के लिए हमें अपनी जीवनशैली के तीन मुख्य पहलुओं में बदलाव तुरंत शुरू करना चाहिए
भोजन में बदलाव (DIETARY CHANGES )

सबसे ज़रूरी है कि हम पहले यह समझें कि हमारे शरीर को भोजन की कितनी आवश्यकता है। इसके आधार पर ही हमें अपनी डाइट को मुख्य रूप से लो कैलोरी वाले विकल्पों के साथ प्लान करना चाहिए। यह भी सुनिश्चित करें कि भोजन तभी करें जब पिछला भोजन पूरी तरह पच जाए और वास्तव में भूख लगे। जैसा भोजन हम करते हैं, वही हमारे शरीर, दिमाग और मन को प्रभावित करता है। इसलिए कहा गया है—"जैसा अन्न, वैसा मन।" हल्का, सुपाच्य और सात्विक भोजन लें—साधारण, कम मसालेदार, कम तेल वाला और कम कैलोरी वाला खाना सबसे बेहतर है।
डायबिटीज पाचन तंत्र को धीमा कर देता है, इसलिए दिन में 5-6 बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन करें। बीच-बीच में गर्म पानी पीना पाचन को बेहतर बनाता है।
डायबिटिक डाइट को लो कैलोरी, हाई फाइबर और हाई प्रोटीन युक्त होना चाहिए। रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को शामिल करें:
सलाद और हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे करेला, पालक, लौकी, तोरई
साबुत अनाज: गेहूं, जौ, चना, सोयाबीन का दलिया, ब्राउन राइस, अंकुरित मूंग और दाल
मौसमी फल: जामुन (फल और गुठली का चूर्ण), संतरा, खरबूजा, ड्राईफ्रूट्स
घर का बना ऑर्गेनिक खाना
त्रिफला चूर्ण, मुनगा पत्ती का पाउडर
नॉनवेज में मछली
आंवला: इसमें विटामिन C, क्रोमियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन होता है, जो शुगर को कोशिकाओं में अवशोषित करने में मदद करता है
त्रिफला: यह डिटॉक्सिफाइंग है और पाचन शक्ति बढ़ाता है
हर घर के किचन में मौजूद कुछ खास चीजें—जैसे जीरा, अदरक, दालचीनी, मेथी, हल्दी, लहसुन, ग्रीन टी और नींबू—भी शुगर कंट्रोल में मददगार हैं, इन्हें अपने भोजन में शामिल करें1।
भोजन में अधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों से बचें, जैसे:
मीठे स्वाद वाले सभी खाद्य पदार्थ, तैलीय और जंक फूड
चावल, नया अनाज, आलू, गन्ने का रस, गुड़, मिश्री
धूम्रपान और शराब का सेवन न करें
शारीरिक व्यायाम (PHYSICAL ACTIVITY)

डायबिटीज़ में नियमित व्यायाम दवा की तरह असर करता है। रोज़ाना कम से कम 60 से 120 मिनट तक शारीरिक गतिविधि ज़रूर करें—इसकी शुरुआत आज से ही करें।
व्यायाम आपकी कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल तुरंत कम होता है और यह असर 6-8 घंटे तक बना रह सकता है।
व्यायाम के विकल्प:
तेज या सामान्य सैर
योग
जॉगिंग, खेल, स्ट्रेचिंग, हल्की वेट लिफ्टिंग आदि
नियमित शारीरिक गतिविधि डायबिटीज़ को नियंत्रित रखने में बेहद मददगार है
ध्यान और योग-आसन (MEDITATION AND YOGA)

ध्यान (मेडिटेशन) आपके मस्तिष्क से निकलने वाले स्ट्रेस हार्मोन—जैसे कोर्टिसोल और एड्रेनालिन—को कम करता है, जबकि डोपामिन और सेरोटोनिन जैसे हैप्पी हार्मोन को बढ़ाता है। चूंकि स्ट्रेस हार्मोन ब्लड शुगर को बढ़ा सकते हैं, इसलिए मेडिटेशन करने से ये हार्मोन घटते हैं और शुगर लेवल भी नियंत्रित रहता है।
स्ट्रेस को कम करने के लिए ध्यान के अलावा आप ये उपाय भी अपना सकते हैं:
पर्याप्त नींद लें (6-8 घंटे)
जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखें
हंसी को अपनी दिनचर्या में शामिल करें
अपने पसंदीदा शौक या रचनात्मक गतिविधियों (जैसे संगीत, नृत्य, चित्रकारी, बागवानी, यात्रा आदि) में समय बिताएं
ध्यान और योगासन तनाव हार्मोन को कम करते हैं। कपालभाति और अनुलोम-विलोम प्राणायाम मन को शांत करते हैं और पिट्यूटरी ग्रंथि तथा पैंक्रियास (इंसुलिन उत्पादक ग्रंथि) के बीच संतुलन बनाते हैं, जिससे डायबिटीज़ रोगियों में इंसुलिन उत्पादन बढ़ सकता है1।
मेडिटेशन मेलाटोनिन और एंडोर्फिन हार्मोन का स्राव भी बढ़ाता है, जिससे रक्त में शुगर लेवल कम करने में मदद मिलती है।
डायबिटीज़ में भुजंगासन, वृक्षासन, मयूरासन और चक्रासन जैसे योगासन करने की सलाह दी जाती है।
सारांश
डायबिटीज़ मेलिटस टाइप II सबसे आम जीवनशैली संबंधी रोग है।
भोजन और जीवनशैली में बदलाव करने से इस बीमारी की शुरुआती अवस्था में इसे रोका या पलटा जा सकता है, साथ ही जटिलताओं को भी टाला जा सकता है।
ऊपर बताए गए सरल जीवनशैली और आहार संबंधी परिवर्तन अपनाकर आप अपने जीवन की गुणवत्ता और दिशा दोनों में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं |

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